सावधान


आए दिन कहीं भी, किसी भी बात को लेकर, बहस हो ही जाती है, खासतौर पर भीड़ भाड वाली हर जगह पर धक्का मुक्की आम बात है, ऐसे में सामने वाला अगर आक्रामक निकला और कहीं संख्या में आपसे ज्यादा हो गया तो आपकी खैर नहीं .. इस तरह के लफंगे आए दिन कोई न कोई बारदात करते ही रहते हैं। फिर रही सही कसर मीडिया में विराजमान महा बुद्धिमान लोग खबर को बिकाऊ और चटखारे दार बनाने के लिए उसको जातीय, धार्मिक वाला ऐंगल जबरजस्ती लाएंगे, जबकि पूरी घटना सिर्फ आपराधिक वारदात होती है .. अब जाति के ठेकेदारों की भी हमदर्दी शुरू हो जाती है.. आगे .. तोड़-फोड़, बंद .. जिंदाबाद ... मुर्दाबाद .. हासिल किसको ..  क्या होगा??? बस हम इस मामले सिर्फ एक काम कर सकते हैं .. वह है दुआ .. कि जो व्यक्ति इन अपराधियों का शिकार हो वह दलित या अल्पसंख्यक समुदाय से न आता हो .. क्योंकि बाकियों कि ... जैसे देखना चाहिए वैसे ही देखा जाता है ..  कृपा करके अपराधियों को जातीय, धार्मिक पहचान मत दीजिए, कोई भी अपराधी खास तरह से कपड़े पहन लेने या कोई प्रतीक धारण कर लेने से किसी भी जाति, धर्म का प्रतिनिधि नहीं बन जाता बल्कि यह सिर्फ उसके अपने बचाव का एक रास्ता है कि वह कैसे सबका ध्यान बंटा सके.. यही उसकी सफलता है। ऐस में खुद को शिकार होने से बचाइए .. क्योंकि हम सब किसी न किसी जाति, धर्म से सम्बद्ध हैं और जाने अनजाने में ऐसे लोगों और संगठनों से सहानुभूति रखने लग जाते हैं इस स्थिति में आँख से ज्यादा दिमाग का खुला होना जरुरी है .. किसी भी अतिरेक से सावधान रहिए- राजहंस राजू

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