Media की अराजकता

सभी media मित्रों के लिए-
आम लोग हों या फिर खास, उनसे जुड़ी किसी भी बात को खबर बनाने के लिए, जिस तरह से media के लोग असंयमित व्यवहार करते हैं, वह बेहद ही शर्मनाक है, हलांकि ए सबको उपदेश देत रहते हैं, जबकि इन लोगों में इतनी भी अक्ल नहीं दिखती कि थीड़ी सी दूरी बनाकर, आराम से एक निश्चित जगह पर खड़े होकर भी, सारा काम शालीन और सभ्य तरीके से किया जा सकता है, कृपा करके लोगों के दु:ख का मजाक मत बनाइये और तमाम लोगों को उनके घर परिवार के साथ, उनके हाल पर छोड़ दीजिए। आप लोगों से यह भी गुजारिश है कि किसी भी घटना पर तुरंत बाद बहस, अंतिम निर्णय और सजा का एलान बिलकुल मत करिए, पुलिस को भी कुछ काम करने दीजिए क्योंकि बहुत सी घटनाओं में कई बेगुनाहों को media की जल्दबाजी की वजह से अपमानित होना पड़ता है, जबकि पूरी पड़ताल के बाद मामला, कुछ और ही निकलता है। media के लोग कहीं भी जिस तरीके से शोरगुल, धक्का मुक्की आपस में करते हैं, उन्हें देखकर यह बिलकुल भी नहीं लगता आधुनिक तकनीक की इनमें कोई समझ है। please थोड़ा सा कैमरे और खुद को upgrade और zoom करिए, साथ में connectivity का इस्तेमाल करते हुए, कुछ common बातों को cover करने के लिए, खुद को भीड़ बनाना जरूरी नहीं है। क्या media के लोग खुद एक media line नहीं खींच सकते कि हमें कहाँ, कैसे, कितनी दूरी पर खड़ा होना है। आप सबको खुद का महत्व समझना चाहिए, आप आम और खास दोनों लोगों की जरुरत हैं, खासतौर पर खास लोगों कि ऐसे में आप सबका थोड़ा सा शालीन और धैर्यवान दिखना एक आवश्यक शर्त है, सच में media के लोगों का चीखना, चिल्लाना.. बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता.  Please .. please..

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