आइए सीखते हैं
हमारा व्यवहार सिर्फ़ हमारे बारे में नहीं बताता बल्कि यह समग्र विश्लेषण होता है कि हम किस तरह के परिवार से आए हैं, हमारा परिवेश कैसा था, हमने अपने स्कूल, कालेज में क्या सीखा और इन सब का निचोड एक समाज और देश के रूप में सामने आता है। अब किसी भी राष्ट्र के लोग कैसा वर्ताव करते हैं, यह निश्चित रूप उनकी मनोदशा पर निर्भर करता है, जिसका निर्माण एक सतत प्रक्रिया है और उसके लिए कोई निश्चित सिध्दांत नहीं है। बदलाव और स्वीकार्यता को सदैव सही दिशा में ले चलना समाज के प्रबुद्ध वर्ग की सबसे बडी़ जिम्मेदारी होती है।
साथ ही विडंबना यह है कि हर वर्ग में एक ऐसा तबका जरूर होता है जो अतिवादी, संकीर्ण होने के बाद भी अपनी पर्याप्त संख्या बनाए रखता है और इनके आक्रामक या उग्र व्यवहार के कारण इनसे असहमत होने के बाद भी इन्हीं के समुदाय का बड़ा वर्ग मौन धारण किए रहता है। यह मौन इन संगठनों की ताकत बढ़ाता है। इसे आप पूरी दुनिया में देख सकते हैं कि लोगों के चुप रहने से क्या होता है। हम लोग भीड़ और तमाशाई बन जाते हैं या यूँ कहें कि हमें भी इस आराजकता में मजा आने लगता है। अभी कुछ दंगाईयों से आप बात करके देखिए और आपको उसमें कोई मकसद या कारण मिल जाए तो कहिए... वह बेमकसद खुद से नाराज है ... वह बोर हो रहा है.. और मजे के लिए किसी हद तक जाने को तैयार है.. चाहे इसमें किसी की जान भी चली जाये।
इस सीखने और समझने की प्रक्रिया में अगर कोई देश है तो वह जापान है। अभी फुटबॉल वर्ल्डकप में जापानी दर्शकों की तारीफ हर किसी ने किया और उन्होंने ए साबित किया कि वो रूस में जापान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और हर व्यक्ति जापान का राजदूत है। जिसके लिए किसी सरकारी घोषणा की आवश्यकता नहीं है और यह बात जीवन के हर क्षेत्र में लागू होती है। तो हम खुद तय करें कि हमने अपने जीवन में क्या सीखा है.... और हम किसका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं...
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