Aadhar : आधार

अगर हम लोग privacy का मतलब समझते हैं और उसकी सुरक्षा भी करना चाहते हैं तो सबसे पहले connectivity के साथ smart phone का इस्तेमाल बंद करना होगा और communication के लिए सिर्फ़ कबूतरों के इस्तेमाल की एक राष्ट्रीय परियोजना लागू करने की माँग शुरू कर देनी चाहिए। 
      हमारे यहाँ एक बड़ी आबादी के पास जरूरी संसाधन नहीं है ऐसे में वो कौन सी privacy बचाएंगे? सोचने की बात है, उनके पास पहले से गरीब, लाचार, बेचारा होने का न केवल सामाजिक बल्कि सरकारी tag भी लगा हुआ है। जो निश्चित रूप से उनका महिमामंडन तो नहीं करती। खैर डरने की बात उन बेचारों के लिए है जिन्होंने पता नहीं कौन कौन से तिकड़म करके ढेर सारा गैरकानूनी पैसा बनाया है। अब बेचारों को बेनामी संपत्ति और दूसरे  अपराधों को वैध बनाने में बड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। ऐसे मासुम और बेचारों को privacy की सबसे ज्यादा चिंता है क्योंकि अबतक इस झोल का सबसे ज्यादा फायदा यही अपराधी उठा रहे थे। वैसे भी पहचान छुपाने की आवश्यकता इन्हें ही होती है। जबकि आधार से सिर्फ यह साबित होता है कि मै, मै ही हूँ, जो इस प्रमाण प्रक्रिया का त्वरित digital platform है। जिसमें जवाब सिर्फ yes or no में दिया जाता है। अनावश्यक कागजी प्रक्रिया से आम लोगों को मुक्त करने के लिए, जिससे लोग बिना किसी परेशानी के कहीं भी Bank account, mobile connection, और अन्य सुविधाएं ले सके। पर अब एक anti aadhar, privacy protection movement उठ खड़ा हुआ है। यह खुद को अति बुद्धिजीवी साबित करने वाले लोगों का अच्छा टाइम पास है। जिनके पास बताने के लिए इसका विकल्प भी नहीं है। अब यदि कर्मचारियों, स्कूल में बच्चों की वास्तविक स्थिति, दूसरे तमाम फर्जी आंकड़ों से अगर मुक्ति मिल जाए तो क्या दिक्कत है और आधार ने ए काम किया है जो कि पूरी तरह सच है। ghost students, teachers, account holders लगभग खत्म हो चुके हैं। 
    आधार कांग्रेस सरकार का एक शानदार विचार था, जो कि हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री Dr. Man Mohan Singh, P. Chidambaram, Sam Pitroda, Nandan Neelkedi, team की शानदार योजना के रूप में सामने आई। जिसका तब BJP विरोध कर रही थी और अब वही काम विपक्ष में होने के नाते कांग्रेस कर रही है। जैसा कि विपक्ष का सदा से सरकार का विरोध करने की परंपरा चली आ रही है। एक बात और मान लीजिये कि BJP यदि सत्ता से बाहर हो गई तो वह भी इसका विरोध ही करेगी। जबकि बात ए होनी चाहिए कि इसको और कारगर, सुरक्षित कैसे बनाया जाय, कोई व्यक्ति यदि इस biometric व्यवस्था का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है तो दूसरा कौन सा सुरक्षित, आसान तरीका अपनाया जाय और इसका गलत प्रयोग या सूचनाओं को सार्वजनिक करने वाले लोगों और संस्थाओं पर कठोर कार्रवाई के लिए आश्वस्त किया जाना चाहिए। 
    चालिए अब दुसरे पक्ष पर आते हैं कि यदि आपको तकनीक की समझ है तो सच मानिए privacy तो सिर्फ Google के हाथ में है। मतलब Google बाबा की कृपा पर..  और आपका फोन जितना smart होगा आपकी privacy उतनी ही कम होती जाएगी। मतलब आप काफी दिनों से फोन के माध्यम से खुद को smart और intelligent साबित कर रहे हैं तो समझ लीजिए आपकी privacy किस level पर होगी। इस वक्त आप यह देख या पढ़ रहे हैं तो आपका अंगूठा screen पर चल रहा है और आप कैमरे के सामने हैं.. और...
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